सूर्य (Sun)
सूर्य अन्य तारों की भांति गर्म गैस का गोला है और सौरमण्डल का केंद्र है। यद्यपि सूर्य अन्य तारों की तुलना में औसत आकार का बताया जाता है, किंतु 'मिल्की वेÓ आकाशगंगा के 80 प्रतिशत तारों की तुलना में सूर्य का द्रव्यमान और चमक ज्यादा है। इसके गर्भ में स्थित हाइड्रोजन गैस सदैव हीलियम गैस में परिवर्तित होती रहती है। इस प्रक्रिया की वजह से सूर्य से प्रकाश एवँ ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। सूर्य का 95 प्रतिशत हिस्सा हाइड्रोजन से निर्मित है। इसके केंद्र में हीलियम का एक क्रोड स्थित है। इस क्रोड के चारों ओर प्रत्येक सेकेण्ड सूर्य का 40 लाख टन पदार्थ ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। सूर्य में नाभिकीय संलयन से प्रत्येक सेकेण्ड 60 करोड़ टन हाइड्रोजन हीलियम गैस में परिवर्तित हो जाता है। यह प्रक्रिया अगले 5 अरब वर्षों तक चलती रहेगी। पृथ्वी की भांति सूर्य के भी कई स्तर होते हैं। पृथ्वी से दिखाई देने वाले भाग को सूर्यमण्डल (क्कद्धशह्लशह्यश्चद्धद्गह्म्द्ग) कहते हैं। सूर्यमण्डल का ऊपरी भाग जो गुलाबी गैसों का बना है, को वर्णमण्ड) कहते हैं। यह सदैव एक स्थिर गति में रहता है। अक्सर वर्णमण्डल से 100,000 मील लम्बी सौर अग्नि ्कलती है। वर्णमण्डल के ऊपर एक विशाल आभामंडल होता है, इसे सिर्फ सूर्यग्रहण के समय देखा जा सकता है। इसे परिमंडल कहते हैं।
चंद्रमा (moon)
चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का 1/4 है। (2,160 मील या 3,476 किमी. है)। इसकी गुरूत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के छठवें भाग के बराबर है। चंद्रमा द्वारा पृथ्वी का परिक्रमा पथ वृत्ताकार न होकर अंडाकार है। चंद्रमा, पृथ्वी की परिक्रमा 27.3 दिन में पूरी करता है। चंद्रमा पर वायुमंडल की उपस्थिति नहीं है, क्योंकि इसका क्षीण गुरूत्वाकर्षण बल वायुमंडल के निर्माण में असमर्थ है। जनवरी 1998 में प्रक्षेपित किए गए 'लूनर प्रॉस्पेक्टरÓ अंतरिक्षयान द्वारा भेजे गए चित्रों से ज्ञात होता है कि चंद्रमा के ध्रुवों के विशाल गढ्ढों में लगभग 3 अरब मीट्रिक टन बर्फ दबी हुई है। यह जल संभवत: धूमकेतु के चंद्रमा की सतह पर टकराने की वजह से उत्पन्न हुआ होगा।
पृथ्वी (Earth)
पृथ्वी के वायुमंडल का निर्माण 79 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन, 1 प्रतिशत जल एवँ 0.3 प्रतिशत ऑर्गन से हुआ है। पृथ्वी, सूर्य से तीसरा ग्रह है और यह सौरमंडल का अकेला ऐसा ग्रह है, जहां जीवन की उपस्थिति है। अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले-सफेद रंग के गोले के रूप में दिखाई देती है। पृथ्वी की सूर्य से माध्य दूरी 9.3 करोड़ मील है। यह सूर्य की परिक्रमा 67,000 मील प्रति घण्टे की रफ्तार से करती हुई एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट और 45.51 सेकेण्ड का समय लेती है। अपनी धुरी पर एक परिक्रमण 23 घण्टे, 56 मिनट और 4.09 सेकेण्ड में पूरा करती है। पृथ्वी पूर्णतया गोलाकार नहीं है। इसका विषुवत रेखा पर व्यास 9,727 मील और ध्रुवों पर व्यास इससे कुछ कम है।
इसका अनुमानित द्रव्यमान 6.6 सेक्सटिलियन टन है एवँ औसत घनत्व 5.52 ग्राम प्रति घन सेमी. है। पृथ्वी का क्षेत्रफल 196,949,970 मील है। जिसका 3/4 भाग जल है।
हाल की खोजों में वैज्ञानिकों को ज्ञात हुआ कि पृथ्वी का क्रोड पूर्णतया गोलाकार नहीं है। पृथ्वी के क्रोड के एक्स-रे चित्रों से ज्ञात होता है कि वहाँ 6.7 मील ऊँचे पर्वत एवँ इतनी ही गहरी घाटियाँ मौजूद हैं।
बृहस्पति (jupiter)
बृहस्पति के वायुमंडल का निर्माण 89 प्रतिशत आणविक हाइड्रोजन और 11 प्रतिशत हीलियम से हुआ है। बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका द्रव्यमान सौरमंडल के अन्य सभी ग्रहों के कुल द्रव्यमान से 2.5 गुना अधिक है। इसमें 1300 पृथ्वी समा सकती हैं। यह अपनी धुरी पर एक चक्कर अत्यन्त तीव्र गति से 9 घण्टे 55 मिनट में पूरा करता है। सूर्य की परिक्रमा यह लगभग 12 वर्षों में पूरी करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह इतना विशाल ग्रह है कि तारा बन सकता था। 'वॉयजर 1Ó नामक अंतरिक्षयान से भेजे गए चित्रों से एक महत्वपूर्ण जानकारी यह प्राप्त हुई कि शनि की भांति बृहस्पति का भी एक छल्ला है जो उसकी सतह से 300,000 किमी. दूरी तक फैला है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसके उपग्रह 'यूरोपाÓ की बर्फीली सतह के नीचे मौजूद पानी जीवन का पोषक हो सकता है।हमारे सौरमण्डल में संभवत: सबसे बड़ी संरचना बृहस्पति का चुम्बकीयमंडल । यह अंतरिक्ष का वह क्षेत्र है, जहाँ बृहस्पति का चुम्बकीय क्षेत्र स्थित है। बृहस्पति के अभी तक खोजे गए 61 उपग्रहों में से 21 उपग्रहों की खोज 2003 में की गई। इसके चार मुख्य चंद्रमाओं- इयो, यूरोपा, गैनीमीड और कैलिस्टो की खोज गैलीलियो ने 1610 में की थी।
शनि (Saturn)
शनि सौरमण्डल का छठवाँ एवँ बृहस्पति के पश्चात् सबसे विशाल ग्रह है। बृहस्पति की भांति ही शनि का निर्माण हाइड्रोजन, हीलियम एवँ अन्य गैसों से हुआ है। सौरमण्डल का दूसरा सबसे विशाल ग्रह होने के बावजूद इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 95 गुना है और घनत्व 0.70 ग्राम प्रति घन सेमी. है। शनि की उच्च चक्रण गति (प्रत्येक 10 घण्टे, 12 मिनट में एक) उसे सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा चपटा बनाते हैं। वॉयजर 1Ó अंतरिक्षयान ने शनि के छल्लों की सँख्या 1,000 निर्धारित की थी। लेकिन अब इसके छल्लों की सँख्या एक लाख निर्धारित की गई है। इन छल्लों का निर्माण बर्फ के कणों से हुआ है। अभी तक शनि के 31 ज्ञात उपग्रह हैं। इसका सबसे बड़ा उपग्रह 'टाइटनÓ है। यह सौरमण्डल का ऐसा अकेला उपग्रह है जिस पर वायुमंडल की उपस्थिति है।
यूरेनस (uranus)
यूरेनस की खोज 1781 ई. में सर विलियम हर्शेल ने की थी। इसकी सूर्य से माध्य दूरी 286.9 करोड़ किमी. है। यह अपनी धुरी पर 970 पर झुका हुआ है और इसके इस अप्रत्याशित झुकाव की वजह से ध्रुवीय क्षेत्रों को एक वर्ष के दौरान अधिक सूर्य की किरणें मिलती हैं। एक यूरेनस वर्ष 84 पृथ्वी वर्षों के बराबर होता है। मीथेन की उपस्थिति की वजह से ग्रह का रंग हल्का हरा है। यह एकमात्र ऐसा ग्रह है जो एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक अपनी प्रदक्षिणा कक्षा में लगातार सूर्य के सामने रहता है।
नेप्च्यून (neptune)
नेप्च्यून, सूर्य से औसतन 2.8 अरब मील की दूरी पर स्थित है और 165 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। नेप्च्यून सौरमंडल का आठवाँ ग्रह है। इसके वायुमंडल के मुख्य अवयव हाइड्रोजन और हीलियम हैं। वायुमंडल में मीथेन की उपस्थिति की वजह से इसका रंग हल्का नीला है। अभी तक नेप्च्यून के 11 ज्ञात चंद्रमा हैं। ट्राइटन इसका सबसे बड़ा उपग्रह है। ट्राइटन की विशेषता है कि यह नेप्च्यून की दिशा के विपरीत परिक्रमण करता है। 'वॉयजर 2Ó ने नेप्च्यून पर कई काले धब्बे पाए थे।इसमें से सबसे बड़ा धब्बा पृथ्वी के आकार का है।
No comments:
Post a Comment