19 मई, 2015 को इसरो ने एस्ट्रोसैट (Astrosat) को अक्टूबर, 2015 में लांच करने की घोषणा की।
उल्लेखनीय है कि एस्ट्रोसैट को पीएसएलवी सी-34 द्वारा सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्री हरिकोटा, आंध्र प्रदेश से छोड़ा जाएगा।
एस्ट्रोसैट भारत की पहली वेधशाला है।
इसका वजन 1650 किग्रा. है।
यह पराबैंगनी एवं दृश्य किरणों के अलावा कम और अधिक ऊर्जा वाली एक्स-रे किरणों का एक साथ अवलोकन कर सकता है।
एस्ट्रोसैट पृथ्वी की भूमध्य रेखा पर 650 किमी. दूरी से चक्कर लगाएगा।
यह दूरस्थ तारों, आकाश गंगाओं, ब्लैक होल आदि का अध्ययन करेगा।
उल्लेखनीय है कि एस्ट्रोसैट के प्रक्षेपण के बाद भारत अमेरिका, यूरोप, रूस और जापान के साथ एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा।
एस्ट्रोसैट में छः पेलोड लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि एस्ट्रोसैट को पीएसएलवी सी-34 द्वारा सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्री हरिकोटा, आंध्र प्रदेश से छोड़ा जाएगा।
एस्ट्रोसैट भारत की पहली वेधशाला है।
इसका वजन 1650 किग्रा. है।
यह पराबैंगनी एवं दृश्य किरणों के अलावा कम और अधिक ऊर्जा वाली एक्स-रे किरणों का एक साथ अवलोकन कर सकता है।
एस्ट्रोसैट पृथ्वी की भूमध्य रेखा पर 650 किमी. दूरी से चक्कर लगाएगा।
यह दूरस्थ तारों, आकाश गंगाओं, ब्लैक होल आदि का अध्ययन करेगा।
उल्लेखनीय है कि एस्ट्रोसैट के प्रक्षेपण के बाद भारत अमेरिका, यूरोप, रूस और जापान के साथ एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा।
एस्ट्रोसैट में छः पेलोड लगे हैं।
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