Saturday 11 July 2015

भारत की प्रमुख मिसाइल


भारत की विभिन्न मिसाइलें उसकी सुरक्षा प्रणाली का बेहद अहम हिस्सा हैं. इनमें कई जमीन से जमीन तक मार करने वाली मिसाइलें हैं तो कुछ जमीन से हवा में मार करने वाली. भारत के पास समुद्र में से दागी जा सकने वाली मिसाइलें भी हैं. अग्नि मिसाइलें भारतीय मिसाइल प्रणाली की मुख्य रीढ़ हैं. आइए नज़र डालते हैं भारत की कुछ प्रमुख मिसाइलों पर नजर

~अग्नि-1 ~
अग्नि-1 पर काम 1999 में शुरु हुआ था लेकिन परीक्षण 2002 में किया गया. इसे कम मारक क्षमता वाली मिसाइल के तौर पर विकसित किया गया था. यह 700 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है.
ताजा परीक्षण में भारत ने परमाणु क्षमता संपन्न अग्नि - 1 प्रक्षेपास्त्र का दिसंबर 2011 में फिर से सफल परीक्षण किया. इससे पहले 25 नवंबर 2010 को अग्नि- 1 मिसाइल का इसी द्वीप से सफल परीक्षण किया गया था.
अग्नि - 1 को पहले ही भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है लेकिन सेना से जुड़े लोगों के प्रशिक्षण और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए इसका समय-समय पर प्रायोगिक परीक्षण किया जाता है.


~अग्नि-2~
जमीन से जमीन तक मार करने वाली अग्नि-2 मिसाइल का व्हीलर आईलैंड से मई 2010 में सफल परीक्षण किया. इससे पहले 2009 में दो बार परीक्षण असफल हो गया था.
अग्नि-2 मिसाइल की मारक क्षमता दो हजार किलोमीटर है और ये एक टन तक का पेलोड ले जा सकती है. इसमें अति आधुनिक नेवीगेशन सिस्टम और तकनीक है. ये पेंसिल की आकृति जैसी है.
सितंबर 2011 में एक बार फिर अग्नि-2 का सफल परीक्षण किया गया. अग्नि-2 भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी है.


~अग्नि -3~
भारत ने परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता वाली मिसाइल अग्नि-3 का पहले 2006 में परीक्षण किया जिसे आंशिक रूप से ही सफल बताया गया. इसकी मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है. ये जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है.फिर 2007 और 2008 में अग्नि-3 का सफल प्रशेपण किया गया.
अग्नि 3 का चौथा परीक्षण फरवरी 2010 में उड़ीसा के पास व्हीलर आईलैंड में किया गया. 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली ये मिसाइल 17 मीटर लंबी है और डायामीटर (व्यास) दो मीटर है. ये 1.5 टन का पेलोड ले जा सकता है. इसमें अति आधुनिक कम्प्यूटर और नेवीगेशन सिस्टम है.


~अग्नि-4 मिसाइल~
उड़ीसा के व्हीलर द्वीप से करीब तीन हज़ार किलोमीटर से अधिक दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल अग्नि-4 का सफल प्रक्षेपण नवंबर 2011 को किया गया. इसमें कई तरह की नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. ये पहली की मिसाइलों से हल्की है.
परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लगभग एक हज़ार किलोग्राम के पेलोड क्षमता वाली अग्नि-4 बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2 मिसाइल का ही उन्नत रूप है.
पहली बार इसका प्रक्षेपण 2010 में दिसंबर में हुआ था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से ये सफल नहीं हो पाया था.

~पृथ्वी मिसाइलें~
वर्ष 2011 में उड़ीसा के चांदीपुर से पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. इसकी मारक क्षमता 350 किलोमीटर है. पृथ्वी 2 का कई बार सफल परीक्षण किया जा चुका है.
पृथ्वी-2 सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है. इसमें किसी भी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल को झांसा देकर निशाना साधने की क्षमता है.
पृथ्वी रेंज की मिसाइलें भारत ने स्वदेशी तकनीक से विकसित की है और भारतीय सेना में इसे शामिल किया जा चुका है. भारत के एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत पृथ्वी पूर्ण रुप से स्वदेश में निर्मित पहला बैलेस्टिक मिसाइल है.
पृथ्वी का परीक्षण समय-समय पर प्रयोगिक क्षमता जाँचने के लिए किया जाता है. पृथ्वी के ज़रिए 500 किलोग्राम तक के बम गिराए जा सकते हैं और यह द्रवित इंजन से संचालित होती है.


~धनुष मिसाइल~
धनुष मिसाइल को नौसेना के इस्तेमाल के लिए विकसित किया गया है और यह 350 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद सकती है.
ये पृथ्वी मिसाइल का नौसनिक (naval) संस्करण है इसकी लंबाई दस मीटर और चौड़ाई एक मीटर है और यह भी 500 किलोग्राम तक के हथियार ढो सकती है. इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है और निर्माण भारत डाइनेमिक्स लिमिटिड ने किया है.


~ब्रहमोस मिसाइल|
28 अप्रैल 2002 को भारत ने ध्वनि की गति से भी तेज़ चलने वाली सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का परिक्षण किया था और इसे ब्रहमोस का नाम दिया गया. भारत ने इसका निर्माण रूस के सहयोग से किया. दोनों देशों के बीच 1998 में ये ज्वाइंट वेंचर हुआ था. इस मिसाइल का भारत कई बार परीक्षण कर चुका है. ब्रहमोस 290 किलोमीटर तक की मार करने की क्षमता रखता है और इसका वजन तीन टन है. ये जहाज, पनडुब्बी और हवा समेत कई प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती है.ये मिसाइल ध्वनि की गति से 2.8 गुना ज्यादा गति से उड़ान भर सकती है.
मार्च 2012 को हुए अभ्यास परीक्षण के बाद ब्रहमोस मिसाइल प्रणाली अब सेना की दो रेजीमेंट में पूरी तरह ऑपरेशनल हो गई है.


~सागरिका मिसाइल~
भारत के पास सागरिका नाम की ऐसी मिसाइल भी है जो समुद्र में से दागी जा सकती है और जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है.
सबमरीन लाँच्ड बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) सागरिका को 2008 में विशाखापत्तनम के तटीय क्षेत्र से छोड़ा गया था. यह मिसाइल 700 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. इस तरह की मिसाइलें चंद ही देशों के पास हैं.


~आकाश मिसाइल~
2003 में भारत ने ज़मीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल का परीक्षण किया.700 किलोग्राम के वज़न वाली ये मिसाइल 55 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकती है. इसकी गति 2.5 माक है.आकाश मिसाइल प्रणाली कई निशानों को एक साथ भेद सकती है और मानवरहित वाहन, युद्धक विमान और हेलीकॉप्टरों से दागी मिसाइलो को नष्ट कर सकती है. इस प्रणाली को भारतीय पेट्रीयट कहा जाता है. आकाश मिसाइल प्रणाली 2030 और उसके बाद तक भारतीय वायु सेना का अहम हिस्सा रहेगी.

~प्रहार मिसाइल~
प्रहार जमीन से जमीन तक मार करने वाली मिसाइल है जिसका जुलाई 2011 में परीक्षण किया गया. इसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है. ये कई तरह के warhead ले जाने की क्षमता रखता है. इसकी लंबाई 7.3 मीटर, वजन 1280 किलोग्राम और डायामीटर 420 मिलीमीटर है.
200 किलोग्राम का पेलोड ले जाने की क्षमता रखने वाली इस मिसाइल का रिएक्शन टाइम काफी कम है यानी प्रतिक्रिया काफी जल्दी होती है. इसे डीआरडीओ ने दो साल से भी कम समय में विकसित किया है. ये मल्टी बैरल रॉकेट और मध्यम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल के बीच की खाई को कम करती है.  

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