Saturday 4 July 2015

NCERT BOOK STD-6 (इतिहास)

कक्षा 6 अध्याय 1 ( कब, कहाँ, और कैसे)
* लाखों वर्षों पहले से लोग नर्मदा नदी के तट पर रहते थे | आरम्भिक लोगों में से कुछ कुशल संग्राहक थे |
* उत्तर पश्चिम की सुलेमान और किरथर पहाडियों में लगभग 8000 साल पहले स्त्री - पुरुषों ने सबसे पहले गेहूँ तथा जौ जैसी फसलों को उपजाना आरम्भ किया | उन्होंने भेड़, बकरी और गाय -बैल को पालतू बनाना शुरू किया |
* उत्तर -पूर्व में गारो तथा मध्य भारत में विंध्य पहाडियों में कृषि का विकास हुआ | विन्ध्य के उत्तर में सबसे पहले चावल उपजाया गया |
* सहायक नदियाँ उन्हें कहते हैं जो एक बड़ी नदी में मिल जाती हैं | गंगा व इसकी सहायक नदियों के किनारों पर नगरों का विकास लगभग 2500 वर्ष पूर्व हुआ |
* गंगा के दक्षिण में इन नदियों के आस पास का क्षेत्र प्राचीन काल में 'मगध 'के नाम से जाना जाता था |
* देश का नाम इण्डिया शब्द इण्डस से निकला है जिसे संस्कृत में सिंधु कहा जाता है , 2500 वर्ष पूर्व ईरानियों और यूनानियों ने सिंधु को हिंदोस कहा है |
* अतीत में लिखी गई पुस्तकों को हाथ से लिखे होने के कारण पाण्डुलिपि कहा जाता है, पाण्डुलिपि के लिए प्रयुक्त होने वाला "मैन्युस्क्रिप्ट " शब्द ' मेनू ' जिसका अर्थ हाथ है, से निकला है, ये ताडपत्रों व हिमालय क्षेत्र में उगने वाले भूर्ज नामक पेड़ की छाल पर लिखे जाते थे |
* इतिहास व तिथियाँ : अंग्रेजी में बी.सी. (हिन्दी में ई. पू.) का तात्पर्य ' बिफोर क्राइस्ट ' ( ईसा पूर्व) होता है , अंग्रेजी में ए.डी. (हिन्दी में ई.) का तात्पर्य 'ईसा मसीह के जन्म के वर्ष से है |
कक्षा 6, अध्याय 2 (आरम्भिक मानव की खोज में)
*भारतीय उपमहाद्वीप में बीस लाख साल पहले मानव रहा करते थे, जिन्हें आखेटक - खाद्य संग्राहक के नाम से जाना गया |
* जहाँ लोग पत्थरों से औजार बनाते थे, उन स्थलों को उद्योग -स्थल कहते हैं |
* आवासीय पुरास्थल उन्हें कहते हैं जहां पर लोग रहते थे उदाहरण भीमबेटका ( आधुनिक मध्य प्रदेश)
* पाषाण औजारों का निर्माण :- दो तरीकों से (1) पत्थर से पत्थर को टकराना (2) दबाव शल्क -तकनीक
* कुरनुल गुफा (आन्ध्र प्रदेश) से राख के अवशेष मिले हैं
* लगभग 12000 साल पहले दुनिया की जलवायु में बड़े बदलाव आए ,जिससे घास के मैदान बनने लगे
* काल के नाम व तिथियाँ :- (1) आरम्भिक काल को पुरापाषाण काल कहा जाता है, यह दो शब्दों पुरा यानी 'प्राचीन ' और पाषाण यानी 'पत्थर' से बना है ( 20,00,000 से 12,000) इस काल को तीन भागों में बांटा गया है - 'आरम्भिक ' , ' मध्य ' , एवं 'उत्तर ' पुरापाषाण युग, मानव इतिहास की लगभग 99 % कहानी इसी काल में घटित हुई | (2) जिस काल में पर्यावरणीय बदलाव हुए हैं, उसे 'मेसोलिथ ' यानी मध्यपाषाण युग कहते हैं ( 12,000 से 10,000 ) इसमें औज़ार छोटे थे (3) अगला युग नवपाषाण काल था ( 10,000 से 4,000) इसमें मानव ने अपना जीवन स्थानीय क्षेत्रों में समेटना शुरू कर दिया था |
* हुँस्गी ( आन्ध्र प्रदेश ) यहाँ पर पुरापाषाण युग के कई पुरास्थल मिले हैं

कक्षा 6 अध्याय -3 ( भोजन : संग्रह से उत्पादन तक)
* समय के साथ मानव ने सबसे पहले जिस जंगली जानवर को पालतू बनाया गया वह कुत्ते का जंगली पूर्वज था, धीरे -धीरे लोग भेड़, बकरी , गाय और सूअर आदि को पालना शुरू कर दिया |
* लोगों द्वारा पौधे और जानवरों की देखभाल करने को 'बसने की प्रक्रिया' का नाम दिया गया है, यह प्रक्रिया करीब 12,000 साल पहले शुरू हुई |
* कृषि के लिए अपनाई गई सबसे पहली फसलों में गेहूँ तथा जौ आते है, सबसे पहले पालतू बनाए गए जानवरों में कुत्ते के बाद भेड़ - बकरी आते हैं |
* अनाज को भोजन और बीज, दोनों ही रूपों में बचा कर रखना आवश्यक था, इसलिए लोगों ने इसके भण्डारण में मिट्टी के बने बड़े - बड़े बर्तनों का इस्तेमाल किया |
* स्थायी जीवन की ओर :- पुरास्थलों पर झोपड़ियों और घरों के निशान मिले हैं, बुर्जहोम ( कश्मीर) के लोग गड्ढे के नीचे घर बनाते थे, जिन्हें गर्तवास कहा जाता है |
* मेहरगढ में जीवन - मृत्यु :- मेहरगढ ईरान जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण रास्ते, बोलन दर्रे के पास एक हराभरा समतल स्थान है | यहाँ पर स्त्री - पुरुषों ने, इस इलाके में सबसे पहले गेहूँ तथा जौ उगाना और भेड़ - बकरी पालना सीखा |
* मेहरगढ में चौकोर और आयताकार घरों के निशान मिले हैं, घर में चार या उससे ज्यादा कमरे हैं | कब्रों में मृतकों के साथ कुछ सामान रखे जाते थे, मेहरगढ में कुछ कब्रें मिली है |
* दाओजली हेडिंग :- यह पुरास्थल असम में ब्रह्मपुत्र घाटी की एक पहाड़ी पर है, यहाँ खरल और मूसल जैसे पत्थरों के उपकरण मिले हैं |
* अन्यत्र : - नवपाषाण काल के सबसे प्रसिद्ध पुरास्थलों में एक हयूक (तुर्की) में है |
कक्षा 6 अध्याय 4 ( आरम्भिक नगर)
* * 150 साल पहले जब पंजाब में पहली बार रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी, तो इस काम में जुटे इंजीनियरों को अचानक हडप्पा पुरास्थल मिला, जो आधुनिक पाकिस्तान में है |
* 1921 में दयाराम साहनी ने इस नगर की खोज की थी ,सबसे पहले इस नगर के खोजे जाने के बाद इस सभ्यता का नाम हडप्पा सभ्यता पड़ा |
* नगरों को दो या उससे ज्यादा हिस्सों में विभाजित किया गया था, पश्चिम भाग छोटा था लेकिन ऊँचाई पर बना था(नगर -दुर्ग) , पूर्वी हिस्सा बड़ा था लेकिन यह निचले इलाके में था (निचला -नगर) |
* मोहनजोदड़ो में खास तालाब बनाया था, जिसे महान स्नानागार कहा गया ,इसे बनाने में ईंट और प्लास्टर का इस्तेमाल किया गया था, पानी का रिसाव रोकने के लिए प्लास्टर के साथ चारकोल की परत चढाई गई थी |
* कालीबंगा और लोथल में अग्निकुण्ड मिले हैं, जहाँ शायद यज्ञ किये जाते होंगे, हडप्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल में भण्डार गृह मिले हैं |
* नगरों के घर आमतौर पर एक या दो मजिंला थे, घर के आंगन के चारों तरफ कमरे पाए गए हैं, कुछ घरों में कुएं मिले हैं |
*नगरों में लिपिक रहते थे, जो मोहरों पर लिखते थे |
* मोहरें आयताकार थी, इन पर जानवरों के चित्र मिले हैं , हडप्पा के लोगों को काले रंग से डिजाइन किए हुए खुबसुरत लाल मिट्टी के बर्तन बनाने का पता था |
* 7000 साल पहले मेहरगढ़ में कपास की खेती होती थी, मोहनजोदडो़ में कपड़े के टुकड़ों के अवशेष चाँदी के एक फूलदान के ढक्कन से चिपके मिले हैं |
* हडप्पा के लोग तांबे का आयात राजस्थान के खेतडी़ जिले से करते थे, पश्चिम एशियाई देश ओमान से भी तांबे का आयात किया जाता था |
* टिन का आयात आधुनिक ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता था, सोने का आयात कर्नाटक से और बहुमूल्य पत्थर का आयात गुजरात, ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता था |
* हडप्पा के लोग गेहूँ, जौ, दालें, मटर, धान, तिल और सरसों उगाते थे, गाय, भैंस, भेड़ और बकरियाँ पालते थे|
* कच्छ के धौलावीरा नगर को तीन भागों में बाँटा गया था |
* गुजरात की खम्भात की खाड़ी में शामिल होने वाली साबरमती की एक सहायक नदी के किनारे बसा लोथल एेसा स्थान था, जहाँ पर कीमती पत्थर आसानी से मिल जाता था | लोथल में मनके बनाने का काम होता था |
* अन्यत्र :- 5000 साल पहले मिस्र में राजाओं ने बड़े -बड़े मकबरे बनवाए जिन्हें 'पिरामिड' कहा गया, राजाओं के मरने पर उनके शवों को इन्हीं पिरामिडों में दफ़नाया जाता था, इन शवों को ममी कहा जाता है |
कक्षा 6 अध्याय 5 (क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें)
* वेद चार हैं - रिगवेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद, इनमें सबसे पुराना वेद रिगवेद है, इसकी रचना 3500 साल पहले हुई, इसमें एक हजार से ज्यादा प्रार्थनाएँ हैं जिन्हें सूक्त कहा गया है |
* अग्नि (अाग के देवता) , इन्द्र ( युध्द के देवता), सोम (एक पौधा ,जिससे एक खास पेय बनाया जाता था) |
*ऋग्वेद की भाषा प्राक् संस्कृत या वैदिक संस्कृत है |
* संस्कृत और अन्य भाषा परिवार :- भारोपीय ( भारत - यूरोपीय) - भारत की भाषाएँ - असमिया, गुजराती, हिन्दी, कश्मीरी और सिन्धी, एशियाई भाषाएं जैसे फारसी तथा यूरोप की भाषाएँ - अंग्रेजी, फ्रांसीसी ,जर्मन, यूनानी, इतालवी, स्पैनिश |
* तिब्बत -बर्मा भाषा परिवार - पूर्वोत्तर प्रदेशों की भाषाएँ |
* द्रविड़ भाषा परिवार - तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम |
* आस्ट्रो - एशियाटिक भाषा परिवार - झारखंड और मध्य भारत की भाषाएँ |
* महापाषाण कब्रें बनाने की प्रक्रिया लगभग 3000 साल पहले शुरू हुई, यह दक्कन, दक्षिण भारत, उत्तर -पूर्वी भारत और कश्मीर में प्रारंभ हुई थी |
* मृतकाें को खास किस्म के मिट्टी के बर्तनों के साथ दफ़नाया जाता था जिन्हें काले - लाल मिट्टी के बर्तनों ( ब्लैक एण्ड रेड वेयर) के नाम से जाना जाता है |
* ब्रह्मगिरी (आन्ध्र प्रदेश) में व्यक्ति की कब्र में 33 सोने के मनके और शंख पाए गए हैं |
* इनामगाँव (महाराष्ट्र) भीमा की सहायक नदी घोड के किनारे पर बसा था, यहाँ पर मृतक लोगों को प्रायः गड्ढे में सीधा लिटा कर दफ़नाया जाता था, उनका सिर उत्तर की ओर होता था |
* प्रसिद्ध चिकित्सा शास्त्री (वैद्य) ने चरक संहिता किताब लिखी, उन्होनें मनुष्य के शरीर में 360 हड्डियाँ बताई हैं पर वर्तमान में 206 हड्डियों की व्याख्या हुई है चरक ने अपनी गिनती में दाँत, हड्डियों के जोडों को भी शामिल किया है |
कक्षा 6 अध्याय 6 (राज्य,राजा और एक प्राचीन गणराज्य )
* 3000 साल पहले राजा बनने की प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन हुए, कुछ लोग बड़े - बड़े यज्ञों को आयोजित कर राजा बन बैठे |
* अश्वमेध यज्ञ :- इसमें राजा के द्वारा एक घोड़ा छोड़ा जाता था, घोडा़ जिस राज्य से होकर जाता उस राज्य के राजा को दूसरे राजा की अधीनता स्वीकार करनी होती थी |
* वर्ण व्यवस्था :- ब्राह्मण ( पूजा पाठ)
क्षत्रिय ( युद्ध करना)
वैश्य (व्यापार करना)
शुद्र ( तीनों उपरोक्त वर्णो की सेवा करना) |
* शुद्रों व महिलाओं को वेदों का अध्ययन करने का अधिकार नही था |
* जनपद :- शाब्दिक अर्थ जन के बसने की जगह, इनकी कई बस्तियों को खोजा गया है ( दिल्ली में पुराना किला, मेरठ के पास हस्तिनापुर, एटा के पास अतरंजीखेडा |
* मिट्टी के बर्तन मिले हैं, जिन्हें 'चित्रित - धूसर पात्र ' कहा गया है |
* 2500 साल पहले, कुछ जनपद महाजनपद बन गए, महाजनपदों की एक राजधानी होती थी |
* महाजनपद के राजा सेना को नियमित वेतन देकर पूरे साल रखते थे |
* कर व्यवस्था :- भूमिकर ( उपज का 1/6 वां हिस्सा, जिसे 'भाग ' कहा गया) , कारीगरी कर ( महीने में एक दिन राजा के लिए काम करना) |
* कृषि में परिवर्तन :- दो परिवर्तन :- (1) हल के फाल लोहे के बनने लगे. (2) धान के पौधों का रोपण होने लगा |
* सूक्ष्म निरीक्षण (क) मगध :- यह सबसे महत्वपूर्ण जनपद बन गया था, गंगा और सोन नदी यहाँ से बहती थी, इस क्षेत्र में लौह अयस्क की खदाने थी |
शक्तिशाली शासक बिम्बिसार , अजातशत्रु और महापदमनंद थे | बिहार में राजगृह ( राजगीर) कई सालों तक इसकी राजधानी रही | बाद में पाटलिपुत्र( पटना) को राजधानी बनाया गया | मेसेडोनिया का राजा सिकन्दर भी मगध की शक्ति से भयभीत था |
* (ख) वज्जि :- मगध के नजदीक वज्जि राज्य था, इसकी राजधानी वैशाली (बिहार) थी, यहाँ की शासन व्यवस्था गण या संघ थे ( कई शासक शामिल होते थे) बुद्ध व महावीर गण या संघ से सम्बन्ध रखते थे |

कक्षा 6 अध्याय 7(नए प्रश्न नए विचार)
बौद्ध धर्म :----- * बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे जिनका नाम सिद्धार्थ भी था |
* बुद्ध क्षत्रिय थे और 'शाक्य' गण से थे, युवावस्था में ही ज्ञान की खोज में घर का त्याग कर दिया |
* बोध गया (बिहार) में पीपल के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ, वाराणसी के निकट सारनाथ में पहला उपदेश दिया, कुशीनारा में इनकी मृत्यु हुई |
* बुद्ध ने शिक्षा दी कि जीवन कष्टों और दुःखों का घर है इनका मूल कारण है मनुष्य की इच्छा और लालसाएं, बुद्ध ने इस लिप्सा को तञ्हा (तृष्णा) कहा है, बुद्ध ने अपनी शिक्षा प्राकृत ( लोगों के बीच में बोले जाने वाली) भाषा में दी |
* उपनिषद का शाब्दिक अर्थ है 'गुरु के समीप बैठना ' , इन में अध्यपकों व विद्यार्थीयों के बीच वार्तालाप का वर्णन किया गया है |
जैन धर्म :------
* लगभग 2500 वर्ष पूर्व जैन धर्म के वर्धमान महावीर ने इस धर्म का प्रचार किया |
* महावीर का जन्म वज्जि गण के लिच्छवी कुल के क्षत्रिय परिवार में हुआ, 30 वर्ष की आयु में घर छोड़ा व बारह साल बाद ज्ञान प्राप्त हुआ |
* महावीर ने शिक्षा प्राकृत भाषा में ही दी, मगध की प्राकृत भाषा मागधी थी |
* जैन धर्म की शिक्षा पहले मौखिक दी जाती थी, इनका संकलन 1500 वर्ष पूर्व गुजरात में वल्लभी में किया गया |
* बौद्ध भिक्षुओं के लिए बनाये गये नियम विनयपिटिक ग्रंथ में मिलते हैं |
* विहार :- भिक्षु - भिक्षुणियों ने अपने व समर्थकों के लिए कई शरणस्थल बनाए जिन्हें विहार कहा गया |
* आश्रम व्यवस्था :- ( इसका मतलब जीवन के कई चरणों से है)
ब्रह्मचर्य (0 -25 वर्ष)
गृहस्थ (25- 50 वर्ष)
वानप्रस्थ (50-70 वर्ष)
सन्यास (70- मृत्यु)
* अन्यत्र :- जरथुस्त्र ईरानी पैगम्बर थे, उनकी शिक्षा जेन्द अवेस्ता ( पारसी धर्म ग्रन्थ) में है, इनकी शिक्षा का मूल सूत्र - ' सद् - विचार, सद् -वचन तथा सद् -कार्य |
* इस धर्म के समर्थक भारत के गुजरात और महाराष्ट्र में आकर रहने लगे थे।
कक्षा 6 अध्याय 8 (अशोक : एक अनोखा सम्राट जिसने युद्ध का त्याग किया )
* जिन शेरों के चित्र रूपयों-पैसों पर हैं, उन्हें पत्थरों को काटकर बनाया गया और सारनाथ के स्तम्भ पर स्थापित किया गया था |
* मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त ने 2300 साल पहले की, चाणक्य ( कौटिल्य, विष्णुगुप्त) ने अर्थशास्त्र की रचना की थी, जो चन्द्रगुप्त के प्रधानमंत्री थे |
* मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र, उज्जैन और तक्षशिला थे, उज्जैन दक्षिणी भारत जाने वाले रास्ते में पड़ता था |
* उत्तर -पश्चिम कबंल के लिए और दक्षिण भारत सोने और कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध थे |
मेगस्थनीज़ (सेल्यूकस निकेटर का राजदूत) चन्द्रगुप्त के दरबार में रहा, इसने "इण्डिका " पुस्तक की रचना की थी |
* अशोक मौर्य वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था, जिसने सबसे पहले अभिलेखों के द्वारा जनता तक अपने सन्देश पहुँचाये ,अभिलेख की भाषाएँ प्राकृत व ब्राह्मी थी |
* कलिंग की विजय अपने अभिषेक के 8 साल बाद प्राप्त की, जो एक तटवर्ती उड़ीसा था |
* अशोक के धम्म में लोगों को अच्छे व्यवहार की शिक्षा दी जाती थी , अशोक बुद्ध धर्म से भी प्रेरित था |
* अशोक ने धम्म के प्रचार के लिए धम्म महामात्य नाम के अधिकारी नियुक्त किये थे, उनको सीरिया, मिस्र, ग्रीस तथा श्रीलंका में भेजा |
*अन्यत्र :- 2400 साल पहले, चीनी सम्राटों ने चीन की दीवार का निर्माण शुरू किया, इसे बनाने का उद्देश्य उत्तरी सीमा की पशुपालकों से रक्षा करना था, 2000 साल तक इसका कार्य चला, यह दीवार लगभग 6400 कि.मी. लंबी है |

कक्षा 6 अध्याय 10 ( व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री)
* दक्षिण भारत में सोना, मसाले, खास तौर पर काली मिर्च तथा कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था, काली मिर्च की रोमन साम्राज्य में बहुत मांग थी कि इसे 'काले सोने' के नाम से जाना जाता था |
* मुवेन्दार :- यह एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ है 'तीन मुखिया है '( चोल, चेर तथा पांडय) ये तीनों दक्षिण भारत में बहुत शक्तिशाली थे |
* पश्चिम भारत में सातवाहन राजवंश का प्रभाव था, गौतमी पुत्र श्री सातकर्णी सबसे महत्वपूर्ण शासक था |
* दक्षिणापथ का शाब्दिक अर्थ है दक्षिण की ओर जाने वाला रास्ता |
* रेशम मार्ग :- 7000 साल पहले चीन में रेशम बनाने की तकनीक का अविष्कार हुआ, यूरोपीय देशों को रेशम का निर्यात एक मार्ग से होकर जाता था उसी के नाम पे इसका नाम रेशम मार्ग पड़ा ,2000 साल पहले कुषाणों ने इस मार्ग पर अपना नियन्त्रण बनाए रखा था|
* कुषाणों का राजा कनिष्क था, उसने एक बौद्ध परिषद की गठन किया था, इसके दरबार में अश्वघोष (बुद्धचरित के रचनाकार) रहते थे |
* बोधिसत्व :- जो ज्ञान प्राप्ति के बाद एकांत में ध्यान साधना करते हैं |
* बौद्ध धर्म दक्षिण- पूर्व के देशों की ओर भी फैला, जहाँ पर थेरवाद (बौद्ध धर्म का आरम्भिक रूप) अधिक फैला था |
* तीर्थयात्री :- फा-शियन (1600 साल पहले)
श्वैन त्सांग ( 1400 साल पहले)
इत्सिंग (1350 साल पहले) आए थे |
* श्वैन त्सांग भारत से बुद्ध की मूर्तियाँ व 600 पाण्डुलिपियाँ 20 घोड़ों पर लादकर लेकर गया था |
* अन्यत्र :- ईसा मसीह का जन्म बेथलहम में हुआ था, जो रोमन साम्राज्य का हिस्सा था, भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर पहले ईसाई धर्म प्रचारक, पश्चिमी एशिया से आए थे | केरल के ईसाईयों को 'सिरियाई ईसाई' कहा जाता है, वो विश्व के सबसे पुराने ईसाईयों में से हैं |
कक्षा 6 अध्याय 9 (खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर)
* भारतीय उपमहाद्वीप में लोहे का प्रयोग लगभग 3000 साल पहले शुरू हुआ, महापाषाण कब्रों में लोहे के औजार और हथियार बड़ी संख्या में मिले हैं |
* उपमहाद्वीप के दक्षिणी तथा उत्तरी हिस्सों के गाँवों में तीन तरह के लोग रहते थे, तमिल क्षेत्र में बड़े भूस्वामियों को 'वेल्लला' ,साधारण हलवाहाें को 'उणवार'और भूमिहीन मजदूरों को 'दास कडैसियार'या 'अदिमई' कहा जाता था |
* उत्तर भारत के गाँव के प्रधान व्यक्ति को 'ग्राम -भोजक' कहा जाता था, छोटे किसानों को 'गृहपति' कहा जाता था, भूमिहीन मजदूरों को 'दास कर्मकार' कहा जाता था |
* तमिल की प्राचीनतम रचनाओं को "संगम साहित्य कहा गया है, इनकी रचना 2300 साल पहले की गई थी, मदरै मैं कवि सम्मेलन में इनका संकलन किया गया था |
* सिक्के :- सबसे पुराने सिक्के आहत सिक्के थे, चाँदी या सोने के सिक्कों पर आकृतियाें को आहत कर बनाए जाने के कारण इन्हें "आहत सिक्के " कहा गया | * मथुरा 2000 साल पहले कुषाणों की दूसरी राजधानी बनी, पहले पुरूषपुर (पेशावर) थी, मथुरा धार्मिक केन्द्र था (कृष्ण भक्ति), बौद्ध विहार और जैन मन्दिर का केन्द्र भी था |
* शिल्पकार और व्यापारियों ने अपने -अपने संघ बनाए, जिन्हें "श्रेणी" कहा जाता था , श्रेणियाँ बैकों के रूप में काम करती थी |
* सूक्ष्म निरीक्षण :- अरिकामेडु (पुदुच्चेरी) यह एक बन्दरगाह था, यहाँ भूमध्य सागरीय क्षेत्र के एंफोरा ( दोनों तरफ हत्थे लगे थे, जिनमें तरल पदार्थ रखे जाते थे) , एरेटाइन ( मुहर लगे लाल चमकदार बर्तन, जिनका नाम इटली के शहर 'एरेटाइन' से जाना जाता है) बर्तन मिले हैं |

कक्षा 6 अध्याय 11 (नए साम्राज्य और राज्य)
* समुद्रगुप्त के बारे में हमें एक प्रशस्ति मिली है जिसको उसके कवि हरिषेण ने संस्कृत में लिखा है |
* प्रशस्ति संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ 'प्रशंसा' है |
* चन्द्रगुप्त ने ' महाराजाधिराज ' की उपाधि धारण की थी |
* चन्द्रगुप्त द्वितीय का दरबार विद्वानों से भरा था, कवि कालिदास और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट उनके दरबार में थे |
* राजा हर्षवर्धन ने करीब 1400 साल पहले शासन किया, उनके दरबार में कवि बाणभट्ट ने हर्षचरित लिखी जो हर्ष की जीवनी थी |
* चीनी यात्री श्वैन त्सांग, हर्ष के दरबार में रहे थे |
* हर्ष को चालुक्य राजा पुलकेशियन द्वितीय ने हराया था|
* पल्लव और चालुक्य दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण राजवंश थे, पल्लवों का राज्य राजधानी" काँचीपुरम" के आस-पास था, चालुक्यों का राज्य कृष्णा व तुंगभद्रा नदियों के बीच था , चालुक्यों की राजधानी" एहोल " थी |
* पुलकेशियन द्वितीय के दरबार में कवि रविकीर्ति रहते थे |
* दक्षिण भारत में ब्राह्मण भूस्वामियों का संगठन "सभा " था , गैर - भूस्वामी ब्राह्मणों ने "उर " ग्राम सभा का निर्माण किया था, " नगरम " व्यापारियों के संगठन थे |
कक्षा 6 अध्याय 12( इमारतें, चित्र तथा किताबें )
* लौह स्तम्भ :- महरौली (दिल्ली) में कुतुबमीनार के परिसर में यह 7.2 मीटर की ऊँचाई और 3 टन वजन के साथ अपनी कला का शानदार नमूना है , इसके उपर " चन्द्र " नाम के शासक का जिक्र है |
* स्तूप का शाब्दिक अर्थ है " टीला" , स्तूप के चारों ओर परिक्रमा करने के लिए एक वृताकार पथ होता था, जिसे "प्रदक्षिणा पथ " कहते हैं|
* मन्दिरों का महत्वपूर्ण भाग " गर्भगृह " होता था, जहाँ पर मुख्य देवी - देवता की मूर्ति को रखा जाता था , मन्दिर के ऊपरी भाग को " शिखर " कहा जाता था , मन्दिर में मण्डप भी थे , जहाँ पर लोग इकटठा होते थे |
* पुस्तकों की दुनिया :- करीब 1800 साल पहले प्रसिद्ध तमिल महाकाव्य सिलप्पदिकारम की रचना इलांगो ने की, इसमें कोवलन नाम के व्यापारी की कहानी है |
* एक और तमिल महाकाव्य, मणिमेखलई की रचना 1400 साल पहले सत्तनार ने की, इसमें कोवलन व माधवी की बेटी की कहानी है |
* पुराण का शाब्दिक अर्थ है प्राचीन या पुराना ( विष्णु, शिव, दुर्गा आदि की कहानियाँ हैं), पुराणों की भाषा संस्कृत है |
* रामायण और महाभारत दो संस्कृत महाकाव्य हैं |
* विज्ञान की पुस्तकें :- गणितज्ञ व खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने संस्कृत में आर्यभट्टीयम नामक पुस्तक लिखी |
* वराहमीर ने पँचसिद्धान्तिका नामक पुस्तक लिखी थी |
* चीन के काई लून ने 1900 साल पहले कागज का अविष्कार किया था |

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